हक़ीकत थी पर ख़्वाब निकलाहक़ीकत थी पर ख़्वाब निकलादूर था पर पास निकलामैं इस बात को क्या कहूंये ज़रदारी तो मुसर्रफ़ का भी बाप निकला
मैं अपने घर गया वो अपने घर गयीमैं अपने घर गया वो अपने घर गयीफिर मुझको क्या खबर कि वहां से वो किधर गयी
मैंने चाहा तुझे अबला समझ करमैंने चाहा तुझे अबला समझ करमैंने चाहा तुझे अबला समझ करतेरे बाप ने पीट दिया मुझे तबला समझ कर
तुम्हारी अदाओं पे मैं वारी-वारीतुम्हारी अदाओं पे मैं वारी-वारीतुम्हारी अदाओं पे मैं वारी-वारीक्या उधर लाइट आ रीइधर तो आ री - जा री, आ री - जा री
डर है मुझे तुमसे बिछड़ न जाऊंडर है मुझे तुमसे बिछड़ न जाऊंखोके तुम्हें मिलने की राह न पाऊंऐसा न हो जब भी तेरा नाम लबों पर लाऊंमैं आंसू बन जाऊं