रीत है जाने यह किस ज़माने कीरीत है जाने यह किस ज़माने कीजो सज़ा मिलती हैं यहाँ किसी से दिल लगाने कीना बसाना किसी को दिल में इतना किफिर दुआ माँगनी पड़े रब से उसे भुलाने की
अपने दिल की सुन अफवाहों से काम ना लेअपने दिल की सुन अफवाहों से काम ना लेमुझे दिल में रख बेशक मेरा नाम ना लेये वहम है तेरा कि तुझे भूल जायेंगे हम;मेरी कोई ऐसी साँस नहीं जो तेरा नाम ना ले!
तू ही मिल जाये मुझे ये ही काफ़ी हैतू ही मिल जाये मुझे ये ही काफ़ी हैमेरी हर साँस ने बस यही दुआ माँगी हैजाने क्यों दिल खींचा जाता है तेरी तरफ़क्या तुमने भी मुझे पाने की कोई दुआ माँगी है
उसे कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करेउसे कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करेबेशक साँसें उसकी हैं मगर जान तो वो हमारी है