माँ शायरी

तुझ से अब और मोहब्बत नहीं की जा सकती

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तुझ से अब और मोहब्बत

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और कुछ तेज़ चलीं अब के हवाएँ शायद

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रोज़ आ जाते हो तुम नींद की मुंडेरों पर

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