जाने कब से तरस रहे हैजाने कब से तरस रहे हजाने कब से तरस रहे हैं, हम खुल कर मुस्कानें कोइतने बन्धन ठीक नहीं हैं, हम जैसे दीवानों कोलिये जा रहे हो दिल मेरा, लेकिन इतना याद रहेबेच न देना बाज़ारों में, इस अनमोल ख़जाने कोतन की दूरी तो सह लूँगा, मन की दूरी ठीक नहींप्यार नहीं कहते हैं केवल, आँखों के मिल जाने कोयह अपना दुर्भाग्य विधाता, ने तन दिया अभावों कामन दे दिया किसी राजा का, जग में प्यार लुटाने कोसुख-दुख अगर देखना है तो, अपने चेहरे में देखोहोंठ मिले हैं मुस्कानें को, आँखें अश्क़ बहाने को।
आपका मक़सद पुराना हैआपका मक़सद पुराना हआपका मक़सद पुराना है मगर खंज़र नयामेरी मजबूरी है मैं लाऊँ कहाँ से सर नयामैं नया मयक़श हूँ मुझको चाहिये हर शै नयीएक मयख़ाना नया, साक़ी नया, साग़र नयादेखता हूँ तो सभी घर मुझको लगते हैं नयेसोचता हूँ तो नहीं लगता है कोई घर नयादेखिये घबरा न जाये तालियों के शोर मेंआज पहली बार आया है ये जादूगर नयाहम किसी सूरत किसी के हाथ बिक सकते नहींचाहे वो ताज़िर पुराना हो या सौदागर नयामेरा शीशे का मकाँ तामीर होने दीजियेहर किसी के हाथ में आ जायेगा पत्थर नया।
तेरे ही क़दमों मेंतेरे ही क़दमों मेतेरे ही क़दमों में मरना भी अपना जीना भीकि तेरा प्यार है दरिया भी और सफ़ीना भीमेरी नज़र में सभी आदमी बराबर हैंमेरे लिए जो है काशी वही मदीना भीतेरी निगाह को इसकी ख़बर नहीं शायदकि टूट जाता है दिल-सा कोई नगीना भीबस एक दर्द की मंज़िल है और एक मैं हूँकहूँ कि 'तूर'! भला क्या है मेरा जीना भी।
किसी ने तेरा बुरा भीकिसी ने तेरा बुरा भी..किसी ने तेरा बुरा भला कब कियाकिया खुदी का अपना, तूने जब कियाबस थोड़े से में सीखी पूरी जिंदगीपूरा किया पर उसे, जो भी जब कियाजो टालते गए, वो टालते गएउसी ने किया, जिसने अब कियाहसीं, प्यार, रश्क, अश्क एक मेंया खुदा! ये तूने क्या गज़ब कियाहमको तो कभी मिला जवाब नाताउम्र जिंदगी से है तलब किया'मजाल' हँसने की वजह कोई नहींपर रोने का भी बताएँ, सबब किया
सबसे छुपा करसबसे छुपा कर..सबसे छुपा कर दर्द जो वो मुस्कुरा दियाउस की हंसी ने तो आज मुझे रुला दिया;लहज़े से उठ रहा था हर एक दर्द का धुआँचेहरा बता रहा है कि कुछ गँवा दिया.आवाज़ में ठहराव था आँखों में नमी थीऔर कह रहा था कि मैंने सब कुछ भुला दिया.जाने क्या उस को लोगों से थी शिकायतेंतन्हाईयो के देश में खुद को बसा दिया.खुद भी वो हम से बिछड़ कर अधूरा सा हो गयामुझ को भी इतने लोगों में तन्हा बना दिया।
जाने किस बातजाने किस बात..जाने किस बात पे उस ने मुझे छोड़ दिया है फ़राज़मैं तो मुफलिस था किसी मन की दुआओं की तरहउस शख्स को तो बिछड़ने का सलीका नहीं फ़राज़जाते हुए खुद को मेरे पास छोड़ गयाअब उसे रोज सोचो तो बदन टूटता है फ़राज़उम्र गुजरी है उसकी याद नशा करते -करतेबे-जान तो मै अब भी नहीं फराजमगर जिसे जान कहते थे वो छोड़ गयाजब्त ऐ गम कोई आसान काम नहीं फराजआग होते है वो आंसू , जो पिए जाते हैंक्यों उलझता रहता है तू लोगो से फराजये जरूरी तो नहीं वो चेहरा सभी को प्यारा लगे