झूठा निकला क़रार तेराझूठा निकला क़रार तेराअब किसको है ऐतबार तेरादिल में सौ लाख चुटकियाँ लींदेखा बस हम ने प्यार तेरादम नाक में आ रहा था अपनेथा रात ये इंतिज़ार तेराकर ज़बर जहाँ तलक़ तू चाहेमेरा क्या, इख्तियार तेरालिपटूँ हूँ गले से आप अपनेसमझूँ कि है किनार तेरा'इंशा' से मत रूठ, खफा होहै बंदा जानिसार तेरा
झूठा निकला क़रार तेराझूठा निकला क़रार तेराअब किसको है ऐतबार तेरादिल में सौ लाख चुटकियाँ लींदेखा बस हम ने प्यार तेरादम नाक में आ रहा था अपनेथा रात ये इंतिज़ार तेराकर ज़बर जहाँ तलक़ तू चाहेमेरा क्या, इख्तियार तेरालिपटूँ हूँ गले से आप अपनेसमझूँ कि है किनार तेरा"इंशा" से मत रूठ, खफा होहै बंदा जानिसार तेरा
कह रही है हश्र में वो आँख शर्माई हुईकह रही है हश्र में वो आँख शर्माई हुईहाय कैसे इस भरी महफ़िल में रुसवाई हुईआईने में हर अदा को देख कर कहते हैं वोआज देखा चाहिये किस किस की है आई हुईकह तो ऐ गुलचीं असीरान-ए-क़फ़स के वास्ते,तोड़ लूँ दो चार कलियाँ मैं भी मुर्झाई हुईमैं तो राज़-ए-दिल छुपाऊँ पर छिपा रहने भी दे,जान की दुश्मन ये ज़ालिम आँख ललचाई हुईग़म्ज़ा-ओ-नाज़-ओ-अदा सब में हया का है लगावहाए रे बचपन की शोख़ी भी है शर्माई हुईगर्द उड़ी आशिक़ की तुर्बत से तो झुँझला के कहावाह सर चढ़ने लगी पाँओं की ठुकराई हुई
अब मेरा दिल कोई मज़हब न मसीहा माँगेअब मेरा दिल कोई मज़हब न मसीहा माँगेये तो बस प्यार से जीने का सलीका माँगेऐसी फ़सलों को उगाने की ज़रूरत क्या हैजो पनपने के लिए ख़ून का दरिया माँगेंसिर्फ़ ख़ुशियों में ही शामिल है ज़माना साराकौन है वो जो मेरे दर्द का हिस्सा माँगेज़ुल्म है, ज़हर है, नफ़रत है, जुनूँ है हर सूज़िन्दगी मुझसे कोई प्यार का रिश्ता माँगेये तआलुक है कि सौदा है या क्या है आख़रलोग हर जश्न पे मेहमान से पैसा माँगेंकितना लाज़म है मुहब्बत में सलीका ऐ'अज़ीज़'ये ग़ज़ल जैसा कोई नर्म-सा लहज़ा माँगे
उसको चाहा पर इज़हार करना नहीं आयाउसको चाहा पर इज़हार करना नहीं आयाकट गई उम्र हमें प्यार करना नहीं आयाउसने कुछ माँगा भी तो मांगी जुदाईऔर हमें इंकार करना नहीं आया
सब कुछ है मेरे पास बस दिल की दवा नहींसब कुछ है मेरे पास बस दिल की दवा नहींदूर वो मुझसे है पर मैं उस से खफा नहींमालूम है अब भी प्यार करता हैं वो मुझसेवो थोडा सा जिद्दी है लेकिन बेवफा नहीं