दिल पे तन्हाई के सियाह अब्र छाने लगे हैंदिल पे तन्हाई के सियाह अब्र छाने लगे हैंतेरे ग़म की लगता है बरसात होने वाली है
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्लअच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ललेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
हर घड़ी तुजे याद किया सजनीहर घड़ी तुजे याद किया सजनीतेरे आने का इंतेजार कियातुजे नहि है खबर मै तडपा हूं कितना सारी सारी राततेरे लौट आने के इंतेजार मे, हर पल तन्हाई का जहर पिया
कहने को ही मैं अकेला हूंकहने को ही मैं अकेला हूं..पर हम चार है.एक मैं..मेरी परछाई..मेरी तन्हाई.. और तेरा एहसास.
तन्हा बैठकर न देख हाथों की लकीरे अपनीतन्हा बैठकर न देख हाथों की लकीरे अपनीउठ बाँध कमर और लिख दे खुद तकदीर अपनी