हम उनके काबिल नही इस लिए दूर रहने लगे हैंहम उनके काबिल नही इस लिए दूर रहने लगे हैंवरना तन्हाई की क्या जुर्रत थी कि हमें बर्बाद करती
तन्हाई में सताती है उसकी याद ऐसेतन्हाई में सताती है उसकी याद ऐसे, चले आते हैं आँखों में आंसू जैसेमेरा हुक्म है ये तुम्हे दया कि पता लगाओ मुन्नी बदनाम हुई तो हुई कैसे!
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयीकभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयीकभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयीबहुत टूट कर चाहा जिसको हमनेआखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी
आज ये तन्हाई का एहसास कुछ ज्यादा हैआज ये तन्हाई का एहसास कुछ ज्यादा हैतेरे संग ना होना का मलाल कुछ ज्यादा हैफिर भी काट रहे हैं जिए जाने की सज़ा यही सोचकरशायद इस ज़िंदगानी में मेरे गुनाह कुछ ज्यादा हैं
मिला वो भी नहीं करतेमिला वो भी नहीं करते, मिला हम भी नहीं करतेवफ़ा वो भी नहीं करते, वफ़ा हम भी नहीं करतेउन्हें रुस्वाई का दुःख, हमें तन्हाई का दर्दगिला वो भी नहीं करते शिकवा हम भी नहीं करते