कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भीकितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भीहजारो अपने है मगर याद सिर्फ वो ही आता है
यह रात इतनी तन्हा क्यों होती हैयह रात इतनी तन्हा क्यों होती हैकिस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों होती हैअजीब खेल खेलती है ये किस्मत भीजिसे पा नहीं सकते उसी से मोहब्बत क्यों होती है
कुछ उलझे हुए सवालों से डरता है दिलकुछ उलझे हुए सवालों से डरता है दिलना जाने क्यों तन्हाई में बिखरता है दिलकिसी को पा लेना कोई बड़ी बात तो नहींपर उनको खोने से डरता है यह दिल