आँखों में चाहत दिल में कशिश हैआँखों में चाहत दिल में कशिश हैना जाने फिर क्यों मुलाकात में बंदिश हैमोहब्बत है हम दोनों को एक-दूसरे सेफिर भी दिलों में ना जाने यह रंजिश क्यों है
उस के साथ रहते रहते हमें चाहत सी हो गयीउस के साथ रहते रहते हमें चाहत सी हो गयीउससे बात करते करते हमें आदत सी हो गयीएक पल भी न मिले तो न जाने बेचैनी सी रहती हैदोस्ती निभाते निभाते हमें मोहब्बत सी हो गयी
तेरी चाहत में हम रुस्वा सर ए बाजार हो गएतेरी चाहत में हम रुस्वा सर ए बाजार हो गएहमने ही दिल खोया हम ही गुनहगार हो गए
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा थाकभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा थासब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा थासुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत हैजिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था
कितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत परकितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत परजब चाहा याद किया जब चाहा भुला दियाबहुत अच्छे से जानता है वो मुझे बहलाने के तरीकेजब चाहा हँसा दिया जब चाहा रुला दिया
अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहाअगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहातो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते