सोचा नहीं अच्छा बुरासोचा नहीं अच्छा बुरा..सोचा नहीं अच्छा बुरा, देखा सुना कुछ भी नहींमाँगा ख़ुदा से हर वक़्त तेरे सिवा कुछ भी नहींदेखा तुझे चाहा तुझे, सोचा तुझे पूजा तुझेमेरी वफ़ा मेरी खता, तेरी खता कुछ भी नहींजिस पर हमारी आँख ने, मोती बिछाये रात भरभेजा वही कागज़ उसे, हम ने लिखा कुछ भी नहींऔर एक शाम की दहलीज़ पर, बैठे रहे वो देर तकआँखों से भी बातें बहुत, मुँह से कहा कुछ भी नहींदो-चार दिन की बात है, दिल ख़ाक में मिल जायेगाआग पर जब कागज़ रखा, बाकी बचा कुछ भी नहीं
अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छाअच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छालो हम भी न बोलेंगे ख़ुदा की क़सम अच्छामश्ग़ूल क्या चाहिए इस दिल को किसी तौर;ले लेंगे ढूँढ और कोई यार हम अच्छागर्मी ने कुछ आग और ही सीने में लगा दी;हर तौर घरज़ आप से मिलना है कम अच्छाअग़ियार से करते हो मेरे सामने बातेंमुझ पर ये लगे करने नया तुम सितम अच्छाकह कर गए आता हूँ, कोई दम में मैं तुम पास;फिर दे चले कल की सी तरह मुझको दम अच्छा;इस हस्ती-ए-मौहूम से मैं तंग हूँ 'इंशा'वल्लाह के उस से दम अच्छा
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनकउनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनकवो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
अच्छा है डूब जाये सफीना हयात काअच्छा है डूब जाये सफीना हयात काउम्मीदो-आरजूओं का साहिल नहीं रहाअनुवादसफीना = नाहयात = ज़िंदगसाहिल = किनार
अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देखअच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देखएक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्लअच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ललेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे