अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्लअच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ललेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
हमें तो खैर कोई दूसरा अच्छा नहीं लगताहमें तो खैर कोई दूसरा अच्छा नहीं लगताउन्हें खुद भी कोई अपने सिवा अच्छा नहीं लगता
क्यों तू अच्छा लगता हैक्यों तू अच्छा लगता है, वक़्त मिला तो सोचेंगेतुझ में क्या क्या देखा है, वक़्त मिला तो सोचेंगेसारा शहर शहंशाही का दावेदार तो है लेकिनक्यों तू हमारा अपना है, वक़्त मिला तो सोचेंगे
ये भी अच्छा है कि ये सिर्फ़ सुनता हैये भी अच्छा है कि ये सिर्फ़ सुनता हैदिल अगर बोलता तो क़यामत हो जाती