मैंने पत्थरों को भी रोते देखा है झरने के रूप मेंमैंने पत्थरों को भी रोते देखा है झरने के रूप मेंमैंने पेड़ों को प्यासा देखा है सावन की धूप मेंघुल-मिल कर बहुत रहते हैं लोग जो शातिर हैं बहुतमैंने अपनों को तनहा देखा है बेगानों के रूप में
जाये है जी नजात के ग़म मेंजाये है जी नजात के ग़म मेंऐसी जन्नत गयी जहन्नुम मेंआप में हम नहीं तो क्या है अज़बदूर उससे रहा है क्या हम मेंबेखुदी पर न 'मीर' की जाओतुमने देखा है और आलम में
इक़रार कर गया कभी इंकार कर गयाइक़रार कर गया कभी इंकार कर गयाहर बात एक अज़ब से दो-चार कर गयारास्ता बदल के भी देखा मगर वो शख्सदिल में उतर कर सारी हदें पार कर गया
तूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आयातूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आयाकितने रिश्ते तेरी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँकितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया हैकितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ
तूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आयातूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आयाकितने रिश्ते तेरी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँकितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया हैकितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ