जाये है जी नजात के ग़म मेंऐसी जन्नत गयी जहन्नुम मेंआप में हम नहीं तो क्या है अज़बदूर उससे रहा है क्या हम मेंबेखुदी पर न 'मीर' की जाओतुमने देखा है और आलम में
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