तुम आओ कभी दस्तक तो दो दर-ए-दिल परतुम आओ कभी दस्तक तो दो दर-ए-दिल परप्यार पहले से कम हो तो सज़ा-ए-मौत दे देना
पंखों को खोल कि ज़माना सिर्फ उड़ान देखता हैपंखों को खोल कि ज़माना सिर्फ उड़ान देखता है;यूँ जमीन पर बैठकर, आसमान क्या देखता है...
जीने के लिए तेरी याद ही काफी हैजीने के लिए तेरी याद ही काफी हैइस दिल में बस अब आप ही बाकी हैआप तो भूल गए हो हमें अपने दिल सेलेकिन हमें आज भी आपकी तालाश बाकी है
पलट के आएगा वो मैं इंतज़ार करती हूँपलट के आएगा वो मैं इंतज़ार करती हूँकसम खुदा की उसे अब भी प्यार करती हूँमैं जानती हूँ कि ये सब दर्द देते हैं मगरमैं अपनी चाहतों पे आज भी ऐतबार करती हूँ
इस इंतज़ार की घडी कोइस इंतज़ार की घडी को, पल-पल की बेक़रारी को लफ़्ज़ों में बयां कैसे कर दूँमखमली एहसाँसों को, रेशमी जज़्बातों को अल्फ़ाज़ों में बयां कैसे कर दूँ
कितना समझाया इस दिल को कि तू प्यार ना करकितना समझाया इस दिल को कि तू प्यार ना करकिसी के लिए ख़ुद को तू बेकरार ना करवो तेरा नही बन सकता, किसी और की अमानत का तू इंतज़ार ना कर