मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती हैमंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती हैपंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है
अगर मैं सच कहूँ तो सब्र ही की आज़माइश हैअगर मैं सच कहूँ तो सब्र ही की आज़माइश है;ये मिट्टी इम्तिहाँ प्यारे ये पानी आज़माइश है!
माना कि ज़लज़ला था यहाँ कम बहुत ही कममाना कि ज़लज़ला था यहाँ कम बहुत ही कमबस्ती में बच गए थे मकाँ कम बहुत ही कम
मेरी हवस के अंदरूँ महरूमियाँ हैं दोस्तमेरी हवस के अंदरूँ महरूमियाँ हैं दोस्तवामाँदा-ए-बहार हूँ घटिया कहे सो हूँ*महरूमियाँ - deprivatio*वामाँदा-ए-बहार - fatigued of sprin
देखूँ तो जुर्म और न देखूँ तो कुफ़्र हैदेखूँ तो जुर्म और न देखूँ तो कुफ़्र हैअब क्या कहूँ जमाल-ए-रुख़-ए-फ़ित्नागर को मैं
ख़ुदा उसे भी किसी दिन ज़वाल देता हैख़ुदा उसे भी किसी दिन ज़वाल देता हैज़माना जिस के हुनर की मिसाल देता है* ज़वाल - पत