पुकार लेंगे उस को इतना आसरा तो चाहिएपुकार लेंगे उस को इतना आसरा तो चाहिएदुआ ख़िलाफ़-ए-वज़अ है मगर ख़ुदा तो चाहिए*ख़िलाफ़-ए-वज़अ - परंपरा के विपरी
कोई कैसा ही साबित हो तबीयत आ ही जाती हैकोई कैसा ही साबित हो तबीयत आ ही जाती हैख़ुदा जाने ये क्या आफ़त है आफ़त आ ही जाती है*तबीयत: स्वभा
ऐसा न हो गुनाह की दलदल में जा फँसूँऐसा न हो गुनाह की दलदल में जा फँसूँऐ मेरी आरज़ू मुझे ले चल सँभाल के
ख़्वाब का अक्स कहाँ ख़्वाब की ताबीर में हैख़्वाब का अक्स कहाँ ख़्वाब की ताबीर में हैमुझ को मालूम है जो कुछ मेरी तक़दीर में है