जय जगदम्बे जय जगदम्बे. फूल भी ना माँगती हार भी ना माँगती माँ तो बस भक्तों का प्यार माँगती बोलो जय जगदम्ब.
अन्धन को नेत्र देती, कोढ़िन को देती काया i बाँझन को पुत्र देती, निर्धन को देती माया i बिगड़ी बनाने वाली, कष्ट मिटाने वाली i दुखियों की सुनले पुकार, माँ मैं हूँ तेरा तलबगार.
जिनका न सहारा कोई माँ, उनका तुम एक सहारा हो दुखिया मन का दु:ख दूर करो, सुखमय संसार हमारा हो आशीष दो माँ उन भक्तों को जो, तुम से आश लगाए हैं दरबार तुम्हारे आए हैं, सब द्वार तुम्हारे आए हैं।
कर ले तू दीदार शेरों वाली का, सेवक है संसार पहाडों वाली का – 2 डगर डगर माँ के जयकारे, जयकारा शेरों वाली का डगर डगर माँ के जयकारे,...
देख चढ़ाई रुक नहीं जाना, जय माता की कहते जाना,-2 रस्ता है दुश्वार शेरो वाली का सेवक है संसार पहाड़ो वाली का कर ले तू दीदार शेरों वाली का.