आज कल मैं जब तनहा होता हूँ तुम मुझे तनहा रहने नही देतीं आंख भीग जाए तो भी एक बूँद भी बहने नहीं देतीं मेरी गोद मैं तुम्हारा सर होता है मैं मेरी अंगुली तुम्हारे बालों में पिरोता हूँ तुम्हारा ख्याल मेरी उदासी पर रहता है मैं तुम से चिप चिप के रोता हूँ. मैं कहता हूँ अँधेरा कोई नही रहा है हर सिमट उजाला है तुम ने मेरे घर मैं एक नया सूरज पला है अश्कबार हूँ तो बस इस लिए की खुशी भर गयी थी आँखों मैं इस खुशी की पहरेदारी अब तुम करो सरे आंसू अपने होंठों पे धरो मुझे प्यार करो प्यार करो बहुत प्यार करो
वो बारिश की बूँदें वो भिगा हुआ चेहरा , वो चेहरे की बूँदों का मोती सा चमकना , वो सावन की ऋतुएँ वो तेरे यौवन की खुशबू , वो गरजते हुए बादल चमकती हुई बिजली , वो बहती हुई नदियाँ उनकी कलकल करती धारा , वो धरती की गोद में तेरे नृत्य की सुन्दरता , जब से देखा है तुझको धड़कनें रूक सी गई है , ऐसा लगता ह मुझको बस तु ही, तु ही है वो मेरे सपनों का जहाँ ( सवेरा ) ।
Cute लव स्टोरी•☀ गर्ल :- ये क्या है..?? बॉय :- मै आपसे प्याल कलता हुँ ! i lub u.... गर्ल :- बेटा तुम अभी बहुत छोटे हो.... बॉय :- छोता हुन तो त्या हुआ...! मै प्याल नहीं कल सकता...! गर्ल :- कल सकते हो पर अपनी age वाली से करो... मै तो तुमसे बहुत बड़ी हूँ.. बॉय :- सुनो डियल प्याल मे छोथा बड़ा नहीं देखा जाता समझे... गर्ल :- मुझे पता है पर तुम अभी और बढे हो जाओ... बॉय :- त्यो? मै छोटा हूँ तो त्या हुआ, तुम्हारा ख्याल रखूँगा., तुम्हे बहुत प्याल कालूंगा...! गर्ल :- अच्छा तो तुम मुझे क्या खिलाओगे.. कहा से पैसे लाओगे.. बॉय :- अले पगली पैसे की चिन्ता त्यो कलती है.. पापा मुझे पोकेटमोनी देते है ना...!! गर्ल :- ओक तो तुम मुझे क्या खिलाओगे कहा घुमाओगे.. बॉय :- माई तुमे इस क्रीम खिलाउंगा.. फिलम दिखौंगा.. और जो तुम बोलो... गर्ल :- मुझे गिफ्ट क्या दोगे.. बॉय :- खूब सरी दैयरी मिल्क चॉक्लाते..! गर्ल :- ओह so sweet... बॉय :- ओक ab ये rose le lo, ओल मुझे भी i lub u बोलो... गर्ल :- ओक... sweet baby...! i love u.... बॉय :- i lub u 2 ...!!
एक मनचला लङका रोज एक गली से गुजरता था....! वो हर रोज एक लङकी से कहता था, लङकी नकाब मे होती थी, लडका कहता है, परदेँनशी थोङा परदा उठा मेरी मोहब्बत कुबूल कर जलवा दिखा...! कहता और फिर चला जाता...! दुसरे दिन भी लडँके ने यही कहाँ...! हे परदेँनशी थोङा परदा उठा मेरी मोहब्बत कुबूल कर जलवा दिखा...! तिसरे..दिन भी लङके ने यही कहा हे परदेँनशी थोङा परदा उठा मेरी मोहब्बत कुबूल कर जलवा दिखा...! अगर आज तुने परदा नही उठाया तो मे खुद खुशी कर लुगाँ.....! वो लङकि परदा नही उठाती..! लङका फिर चला जाता है., चौथे दिन लङका नही आता,.. तो लङकि बहुत दुःखी होती है...! लङकी आस पास पुछती है काका वो लङका कहा है जो मुझे रोज तँग करता था...! लोगो ने कहा बेटी उसने तो तुम्हारी याद मे खुदखुशी कर ली...! वो उसकी कब्र है,..! लङकि उसके कब्र पर जाती है..! और कहती है...! ऐ मेरे गुमनाम आशिक लो, मैने अपने रुख से परदा उठा लिया...! जी भर के मेरा दीदार कर ? तो उस कब्र मे से आवाज आती है ! ऐ मेरे खुदा ये तेरी कैसा इँसाफ है..! आज मे परदेँ मे हुँ.. वो बेनकाब आया है....!
लिखी है ये ग़ज़ल सिर्फ़ तेरे लिए.. ️ दीवाने बने भी तो सिर्फ़ तेरे लिए... ️किसी को नही देखेंगी अब ये आँखें.. ️नज़रें तरसेंगी भी तो सिर्फ़ तेरे लिए... हर साँस में याद करेंगे तुझे.. ️ये साँस निकलेगी भी तो सिर्फ़ तेरे लिए हर प्यार से प्यारे लगते हो तुम मुझे.. मैने प्यार सीखा भी तो सिर्फ़ तेरे लिए....!
वो रातों की महफिल , वो बातों की महफिल, वो यारों का मिलना, मिलके बिछड़ना और फिर मिलना , वो आपस के झगड़े , और अपनों से तकरार, दो दिन रूठ कर , फिर मिलने का इंतजार , यही तो है दोस्ती , और दोस्तों का प्यार ।
क्या साथ मेरे कोई बला चलने लगी है परछाईं भी अब मुझ से जुदा चलने लगी है मौसम की अदा मेरी समझ में नहीं आती सरसर की तरह बादे सबा चलने लगी है आती ही नहीं मेरे ख़राबे की तरफ़ वो अब चाल कोई और घटा चलने लगी है पलकें बिछाए हुए बैठा तो इधर हूँ सुनता हूँ उधर ताज़ा हवा चलने लगी है ख़ातिर में नहीं लाते ख़रीदार को अपने लगता है दुकां उनकी ज़रा चलने लगी है शहरों में इसे कैसा मरज़ हो गया आलम अब चार क़दम पीछे वफ़ा चलने लगी है.......
येही वफ़ा का सीलाह है तो कोई बात नहीं, ये दर्द तुमने दिया है तो कोई बात नहीं.. येही बोहोत है के तुम देखते हो साहिल से, सफीना डूब रहा है तो कोई बात नहीं.. रखा था आशियाना-ए-दिल मैं छुपके तुमको, वह घर तुमने छोड़ दिया है तो कोई बात नहीं.. तुम्ही ने आईना-ए-दिल मेरा बनाया था, तुम्हीने तोड़ दिया है तो कोई बात नहीं.. किसकी मजाल कहे कोई मुझको दीवाना, अगर यह तुमने कहा है तो कोई बात नहीं|