येही वफ़ा का सीलाह है तो कोई बात नहीं

SHARE

येही वफ़ा का सीलाह है तो कोई बात नहीं, ये दर्द तुमने दिया है तो कोई बात नहीं.. येही बोहोत है के तुम देखते हो साहिल से, सफीना डूब रहा है तो कोई बात नहीं.. रखा था आशियाना-ए-दिल मैं छुपके तुमको, वह घर तुमने छोड़ दिया है तो कोई बात नहीं.. तुम्ही ने आईना-ए-दिल मेरा बनाया था, तुम्हीने तोड़ दिया है तो कोई बात नहीं.. किसकी मजाल कहे कोई मुझको दीवाना, अगर यह तुमने कहा है तो कोई बात नहीं|

SHARE