वो बारिश की बूँदें वो भिगा हुआ चेहरा ,
वो चेहरे की बूँदों का मोती सा चमकना ,
वो सावन की ऋतुएँ वो तेरे यौवन की खुशबू ,
वो गरजते हुए बादल चमकती हुई बिजली ,
वो बहती हुई नदियाँ उनकी कलकल करती धारा ,
वो धरती की गोद में तेरे नृत्य की सुन्दरता ,
जब से देखा है तुझको धड़कनें रूक सी गई है ,
ऐसा लगता ह मुझको बस तु ही,
तु ही है वो मेरे सपनों का जहाँ ( सवेरा ) ।