वो पल में बीते साल लिखूं या सदियों लम्बी रात लिखूं....मैं तुमको अपने पास लिखूं....या दूरी का एहसास लिखूं...
नाम तेरा ऐसे लिख चूके है अपने वजूद पर........की तेरे -नाम का भी कोई मिल जाए....तो भी दिल धड़क जाता है....
सैकड़ों शिकायतें रट रखी थी, उन्हें सुनाने को, किताबों की तरह,वो मुस्कुरा के ऐसे गले मिले कि एक भी यादनहीं आई|
मुस्कुराने वाला खुश हो, जरूरी तो नहीं,गहरे दर्द पर अक्सर खामोशियों के पहरे हुआ करते हैं..!!---------------किसी ने कहा बिखरी-बिखरी सी हो तुम...!मैंने कहा "खुशबु" हूँ ये "रवायत" है मेरी...!
हाल-ए-दिल कुछ इस तरह जानता है वोबिन रोये भी अश्क़ मेरे पहचानता है वोन जाने कैसा रिश्ता है हमारे दरमियानकदमों की आहट से मुझे पहचानता है वोरूठू मैं चाहे सौ दफ़ा उससे हर बात परफिर भी मुझे अपना हमदम मानता है वो