क्यों किसी की याद में रोया जाये; क्यों किसी के ख्यालों में खोया जाये; मेरा तो यही कहना है ऐ दोस्त; बाहर मौसम है ख़राब है, . . . . . . . . . क्यों ना रजाई ओढ़ के सोया जाये।
'नहाना' मेरी समझ से परे है - जिस शब्द के आगे 'न' है और पीछे 'ना' है, उस पर हाँ करवाने पर ये दुनिया क्यों तुली है।
एक तो मेरी काम वाली की समझ नहीं आती कि मेरे साथ क्या दुश्मनी है! गर्मियों में आती थी तो झाड़ू मारने के लिए पंखा बंद कर देती थी; और अब सर्दियों में पोछा सुखाने के लिए पंखा चला देती है।
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में; पाँच मिनट और सोने की सोचो तो, तीस मिनट आगे बढ़ जाती है।
लड़का बस स्टॉप पर खड़ी लड़की से: मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। लड़की: चल-चल जा कर मुँह धो कर आ। लड़का: भाड़ में जा, इतना भी प्यार नहीं करता कि इतनी ठण्ड में मुँह धोने जाऊं।
लगता है भगवान ने आज दबंग फिल्म देख ली है! ऐसा मौसम बनाया है कि लोग कन्फ्यूज हैं कि स्वेटर पहने की रेनकोट।
दुनिया में अच्छे आदमी की तलाश में मत निकलना, . . . . . . . . . . बाहर बहुत ठण्ड है और मैं घर पर ही हूँ।