ज़िंदगी से ना रखो कभी कोई शिकायत तुम; यह हँसने के देगी मौके हज़ारों तुम्हें; मुक़ाबला करो हँसते हुए परेशानियों का; अगर मुसीबत आये कोई ज़िंदगी में तुम्हें।
सामने हो मंज़िल तो रास्ते ना मोड़ना; जो भी मन में हो वो सपना ना तोडना; कदम कदम पे मिलेगी मुश्किल सामने; बस देख कर उन्हें तुम हौंसला मत छोड़ना।
बढ़ते कदमो को ना रुकने दे ऐ मुसाफिर; चाहे रास्ता हो कठिन और मंज़िल हो दूर; चाहे ना मिले रास्ते में कोई हमसफ़र; फिर भी झुकना नहीं और पा लेना लक्ष्य को करके बाधाएं सारी दूर।
मुश्किल नहीं इस दुनिया में कुछ भी; फिर भी ना जाने क्यों लोग अपनी डगर छोड़ देते हैं; हो अगर हौंसला कुछ कर गुज़रने का ज़िंदगी में; तो यह ज़मीन के पत्थर क्या आसमान के सितारे भी रास्ते से हट जाते हैं।
जब भी कोई विपत्ति आती है, कायर को ही दहलाती है; सूरमा कभी नहीं विचलित होते, एक क्षण नहीं धीरज खोते; विघ्नों को वो हैं गले लगाते, काँटों में भी अपनी राह हैं बनाते।
वो खुद ही तय करते है मंज़िल आसमानों की; परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की; रखते हैं जो हौंसला आसमान छूने का; उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की।
संघर्ष में आदमी अकेला होता है; सफलता में दुनिया उसके साथ होती है; जब-जब जग उस पर हँसा है; तब-तब उसी ने इतिहास रचा है।
ऐ आसमान बता दे अपनी हदें; मैं उनके पर जाना चाहता हूँ; फांसले हों चाहे कितने भी बड़े; हौंसलों से मैं उन्हें अपने मिटाना चाहता हूँ।
वक़्त से लड़कर जो नसीब बदल दे; इंसान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे; कल होगा क्या, कभी ना यह सोचो; क्या पता कल खुद वक़्त अपनी तस्वीर बदल दे।
जीत की चाहत का जुनून चाहिए; उबाल हो जिसमे ऐसा खून चाहिए; आ जायेगा यह आसमान भी जमीन पर; बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए।
जो सफर की शुरुआत करते हैं; वो ही मंज़िल को पार करते हैं; एक बार चलने का हौंसला रखो; मुसाफिरों का तो रास्ते भी इंतज़ार करते हैं।
ज़िंदगी की हर उड़ान बाकी है; हर मोड़ पर एक इम्तिहान बाकी है; अभी तो तय किया है आधा सफर ज़िंदगी का; बढ़ते ही रहना है हौंसले से मंज़िल की तरफ; क्योंकि अभी तो मंज़िलों से आगे निकल जाना बाकी है।