ज़िन्दगी के इस कश्मकश मैं वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हूँ , लेकिन वक़्त का बहाना बना कर , अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता ! जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की, बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की, बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है , पर जहाँ से अपने ना दिखें वो ऊंचाई किस काम की!!
किसी ने बर्फ से पूछा कि, आप इतनी ठंडी क्यूं हो ? बर्फ ने बड़ा अच्छा जवाब दिया :- " मेरा अतीत भी पानी; मेरा भविष्य भी पानी..." फिर गरमी किस बात पे रखूं ?? क्या इंसान की भी यही स्थिति नहीं है। उसका अतीत भी "खाली हाथ" एवं भविष्य भी "खाली हाथ" फिर अहंकार कैसा और किस बात का?
फिर से मुझे मिट्टी में खेलने दे ऐ जिन्दगी.. .. .. ये साफ़ सुथरी ज़िन्दगी, उस मिट्टी से ज्यादा गन्दी है..!!
बस यही दो मसले, ज़िन्दगी भर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!! वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!! सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
इस जीवन की चादर में, सांसों के ताने बाने हैं, दुख की थोड़ी सी सलवट है, सुख के कुछ फूल सुहाने हैं. क्यों सोचे आगे क्या होगा, अब कल के कौन ठिकाने हैं, ऊपर बैठा वो बाजीगर , जाने क्या मन में ठाने है. चाहे जितना भी जतन करे, भरने का दामन तारों से, झोली में वो ही आएँगे, जो तेरे नाम के दाने है.
आसमां में मत दूंढ अपने सपनो को, सपनो के लिए तो ज़मी जरूरी है, सब कुछ मिल जाए तो जीने का क्या मज़ा, जीने के लिये एक कमी भी जरूरी है...