फूल बनकर मुस्कुराना ही ज़िंदगी है; मुस्कुरा कर गम भुलाना ही ज़िंदगी है; जीत कर कोई खुश हो तो अच्छा है; हार कर भी खुशियां मनाना ही ज़िंदगी है।
वो यारों की महफ़िल वो मुस्कुराते पल; दिल से जुदा है अपना बीता हुआ कल; कभी गुज़रती थी ज़िंदगी वक़्त बिताने में; अब वक़्त गुज़रता है चाँद कागज़ के नोट कमाने में।
ख्वाहिश ऐसी करो कि आसमान तक जा सको; दुआ ऐसी करो कि खुदा को पा सको; यूँ तो जीने के लिए पल बहुत कम हैं; जियो ऐसे कि हर पल में ज़िंदगी पा सको।
बहुत कुछ सिखा जाती है ये ज़िंदगी; हँसा के भी रुला जाती है ये ज़िंदगी; जी सको जितना उतना जी लो दोस्तो; क्योंकि बहुत कुछ बाकी रह जाता है और ख़त्म हो जाती है ज़िंदगी।
बचपन में जब धागों के बीच माचिस को फसाकर फोन-फोन खेलते थे, तो मालूम नहीं था एक दिन इस फोन में ज़िंदगी सिमटती चली जायेगी।
हँस कर जीना यही दस्तूर है ज़िंदगी का; एक यही किस्सा मशहूर है ज़िंदगी का; बीते हुए पल कभी लौटकर नहीं आते; बस यही एक कसूर है ज़िंदगी का।
क्या है यह ज़िंदगी: देखो तो ख्वाब है ये ज़िंदगी; पढ़ो तो किताब है ये ज़िंदगी; सुनो तो ज्ञान है ये ज़िंदगी; हँसते रहो तो आसान है ये ज़िंदगी।
ज़िंदगी पल-पल ढलती है; जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है; शिकवे कितने भी हों पर हर पल हँसते रहना; क्योंकि ये ज़िंदगी जैसी भी एक है बस एक ही बार मिलती है।
दिल से कभी तूने पुकारा ही नहीं; चाह कर भी दूर कभी हुआ नहीं; वक़्त की बेड़ियों ने किया कमज़ोर सही; ज़िंदगी का सही मतलब समझा ही नहीं।
मौत मिलती है न ज़िंदगी मिलती है; ज़िंदगी की राहों में बेबसी मिलती है; रुला देते हैं क्यों मेरे अपने; जब भी मुझे कोई ख़ुशी मिलती है।
तेरे ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िंदगी तेरी चाहत में सवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह; तमाम उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़र लूँ।
ज़िंदगी में कभी उदास मत होना; कभी किसी बात पर निराश मत होना; ज़िंदगी संघर्ष है, चलती ही रहेगी; कभी अपने जीने का अंदाज़ मत बदलना।