सुख और दुःख हमारे पारिवारिक सदस्य नहीं, मेहमान हैं। जो बारी - बारी से आयेंगे, कुछ दिन ठहर कर चले जायेंगे। अगर वो नहीं आयेंगे तो हम अनुभव कहाँ से लायेंगे।
यह ज़रूरी नहीं कि इंसान हर रोज़ मंदिर जाये बल्कि... कर्म ऐसे होने चाहिए कि इंसान जहाँ भी जाये मंदिर वहीं बन जाये।
गलती कबूल करने और गुनाह छोड़ने में कभी देर ना करें; क्योकिं सफर जितना लम्बा होगा, वापसी उतनी मुश्किल हो जायेगी।
दुनिया का सबसे कठिन शब्द है, 'वाह'; जब आप किसी के लिए ऐसा बोलते हैं, तब ना सिर्फ आप अपने अहंकार को तोड़ते हैं बल्कि एक दिल भी जीत लेते हैं।
स्नान तन को, ध्यान मन को, दान धन को, योग जीवन को, प्रार्थना आत्मा को, व्रत स्वास्थ को, क्षमा रिश्तो को, और परोपकार किस्मत को शुद्ध कर देता है।
नल बंद करने से नल बंद होता है, पानी नहीं। घड़ी बंद करने से घड़ी बंद होती है, समय नहीं। दीपक बुझाने से दीपक बुझाता है, रौशनी नहीं। झूठ छुपाने से झूठ छुपता है, सच नहीं। प्रेम करने से प्रेम मिलता है, नफरत नहीं। दान करने से रुपया जाता है, लक्ष्मी नहीं।
कीचड़ में पैर फंस जाये तो नल के पास जाना चाहिए, मगर नल को देख कर कीचड़ में नहीं जाना चाहिए, ज़िन्दगी में बुरा समय आ जाये तो पैसों का उपयोग करना चाहिए, मगर पैसों को देखकर बुरे रास्ते पर नहीं जाना चाहिए।
संतुलित दिमाग से जैसी कोई सादगी नहीं हैं, संतोष जैसा कोई सुख नहीं हैं, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं हैं, और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है।
आदमी साधनों से नहीं साधना से महान बनता है, आदमी भवनों से नहीं भावना से महान बनता है, आदमी उच्चारण से नहीं उच्च आचरण से महान बनता है।