दाग गुलामी का धोया है जान लूटा करदीप जलाए है कितने दीप भुझा करमिली है जब यह आज़ादी तो फिर इस आज़ादी कोरखना होगा हर दुश्मन से आज बचाकर15 अगस्त मुबारक हो!
आजाद की कभी शाम नहीं होने देंगें; शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगें; बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू की; तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगें! स्वतंत्रता दिवस की सभी को बधाई!
न सर झुका है कभी और न झुकायेंगे कभी, जो अपने दम पे जियें सच में ज़िन्दगी है वही. जिओ सच्चे भारतीय बन कर 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की बधाई..
स्वाधीनता दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं चमकती आखो में देखा था इक सपना देश आजाद हो इक दिन अपना सबके मन में एक ही बात थी समाई हम करेंगे अपने प्राण देकर देश की अगुआई देश के ®00932िए कितनो ने जान की बाज़ी लगाई जलियावाला बाग़ देगा इसकी गवाही निकल पड़े बाँध सर पर कफ़न मतवाले अंग्रेजो से लोहा ले देशपर प्राण न्योछावर कर डाले
बापू भगत बोस बिस्मिल जैसे अनगिनत थे सिपाही आज़ाद राजगुरु लक्ष्मीबाई मंगलपांडे जैसो ने भी आज़ादी की ज्योत जलाई होठों पर था सबके बस एक यही नारा अंग्रेजो भारत छोडो भारत देश आज़ाद हो हमारा १५ अगस्त १९४७ को वह स्वर्णिम दिन आया आज़ाद भारत में स्वाधीनता का तिरंगा फहराया
अगर दुश्मन करें आगाज़, तो हम अंजाम लिख देंगे ..... लहू के रंग से इतिहास में संग्राम लिख देंगे ...... हमारी ज़िन्दगी पर तो वतन का ही है नाम लिखा .... अब अपनी मौत भी अपने वतन के नाम लिख देंगे!!
आज शहीदों ने है तुमको, अहले वतन ललकारा। तोडो गुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा। हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख हमारा, भाई-भाई प्यारा। यह है आजादी का झण्डा, इसे सलाम हमारा।
गुजे कही पर शंख , कही पे अजान है बाइबल है, ग्रंथ शाहब है, गीता का ज्ञान है. दुनिया मे कही और ये मंजर नही नशीब, दिखाओ जमाने को ये हिंदुस्तान है ...
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं अलग है भाषा, धर्म, जात और प्रान्त, भेष, परिवेष पर हम सब का एक है गौरव राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेष्ठ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
वक्त आ गया है अब दुनिया को,साफ़ साफ़ कहना होगा . देश प्रेम की धबल धार मैं,हर मन को वहना होगा. जिसे तिरंगा लगे पराया, मेरा देश छोड जाये. हिन्दुस्तान में हिन्दुस्तानी बनकर ही रहना होगा.
देश की युवा शक्ति से एक आहवान … मैं ये नहीं कहता की अपनी शमशीर की धार तेज़ कर लो मगर अपनी रगों में सिमटते लहू की रफ़्तार तेज़ कर लो सीमा पर है पहरा शख्त, घर के दुश्मन को घर में ही कैद कर लो…… इससे पहले की जल जाये धरती इस तपिश में, आसमाँ में हल्का सा छेद कर लो मौसम कई और आयेंगे प्रेम वशीभूत प्रणय गीत गाने के आँखों के मुस्कुराने के, होठों के गुनगुनाने के…. प्रेयसी की प्रीत से बाहर आकर, थोडा वतन से भी प्यार कर लो…. मिला है जो मौका सदियों बाद, अपने ही अधिकारों पर फिर अधिकार कर लो !!