बापू भगत बोस बिस्मिल जैसे अनगिनत थे सिपाही
आज़ाद राजगुरु लक्ष्मीबाई मंगलपांडे जैसो ने भी आज़ादी की ज्योत जलाई
होठों पर था सबके बस एक यही नारा
अंग्रेजो भारत छोडो भारत देश आज़ाद हो हमारा
१५ अगस्त १९४७ को वह स्वर्णिम दिन आया
आज़ाद भारत में स्वाधीनता का तिरंगा फहराया