देश की युवा शक्ति से एक आहवान … मैं ये नहीं कहता की अपनी शमशीर की

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देश की युवा शक्ति से एक आहवान … मैं ये नहीं कहता की अपनी शमशीर की धार तेज़ कर लो मगर अपनी रगों में सिमटते लहू की रफ़्तार तेज़ कर लो सीमा पर है पहरा शख्त, घर के दुश्मन को घर में ही कैद कर लो…… इससे पहले की जल जाये धरती इस तपिश में, आसमाँ में हल्का सा छेद कर लो मौसम कई और आयेंगे प्रेम वशीभूत प्रणय गीत गाने के आँखों के मुस्कुराने के, होठों के गुनगुनाने के…. प्रेयसी की प्रीत से बाहर आकर, थोडा वतन से भी प्यार कर लो…. मिला है जो मौका सदियों बाद, अपने ही अधिकारों पर फिर अधिकार कर लो !!

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