एक दिन पठान अपनी बेगम के साथ घूमने जा रहा था! तभी एक लड़के ने आँख मारी! बंता : तुझे शर्म नहीं आती, मुझे आँख मारता है! लड़का: मैंने तुझे नहीं, तेरी बीवी को आँख मारी है! बंता: माफ़ करना यार, मैंने तुझे ऐसे ही ग़लत समझा!
चार आदमी बंता की सास को पीट रहे थे। बंता चुपचाप सामने खड़ा देख रहा था। उसे इस तरह खड़ा देखकर संता से नहीं रहा गया। वह बंता से बोला – क्या तुम मदद के लिए नहीं जाओगे? संता बोला – नहीं, चार आदमी काफी हैं।
मनोचिकित्सक बंता खत्री, मानसिक रोगी संता मजूमदार की जांच कर रहे थे। डा. बंता – मान लो, इस वक्त यदि एक रेलगाड़ी तुम्हारी तरफ तेजी से आ रही हो, तो तुम क्या करोगे ? संता – मैं अपने हेलीकॉप्टर में बैठूंगा और फुर्र से उड़ जाऊंगा । डा. बंता – तुम्हारे पास हेलीकॉप्टर कहां से आएगा ? संता – वहीं से, जहां से तुम्हारी रेलगाड़ी आएगी
संता की बीबी प्रीतो एक दुकान पर पहुंची जहां परिंदे बेचे जाते थे। एक तोते के पिंजरे के आगे कीमत लिखी थी – मात्र 50 रु. । प्रीतो ने दुकानदार से पूछा – इसकी कीमत इतनी कम क्यों है जबकि तुम्हारी दुकान पर दूसरा कोई भी तोता 500 रु. से कम का नहीं है। - दरअसल इस तोते का बोलचाल ठीक नहीं है। यहां आने के पहले यह एक वैश्या के घर में था। इसलिए कभी-कभी अश्लील बातें और भद्दी गालियां बकने लगता है। आप कोई दूसरा तोता ले जाइये, यह आपके घर के लायक नहीं है। प्रीतो ने दो मिनट सोचा फिर बोली – चलेगा। मैं इसे अपने घर के लायक बना लूंगी। आप तो यही तोता दे दीजिए। शाम को प्रीतो का पति संता घर आया । उसे देखते ही तोता चहक कर बोला – ओए संता ! तू यहां कैसे यार ?
संतासिंह गोल्फ खेलने का बड़ा शौकीन था। हर रविवार बड़े सबेरे वह गोल्फ क्लब के लिये निकल जाता और फिर रात को ही वापस आता। उसका यह नियम बरसों से चला आ रहा था। इस रविवार को जब सुबह वह उठा तो पाया कि बाहर जोरों की बारिश हो रही है। तेज हवा भी चल रही थी। वह काफी देर इस उम्मीद से घर के बाहर बरामदे में खड़ा रहा कि शायद क्लब जाने की कोई सूरत बन जाए पर बारिश थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। हार कर वह घर के अन्दर वापस आ गया। पत्नी अभी तक बिस्तर में उनींदी पड़ी हुई थी। वह भी आहिस्ता से बिस्तर में ही घुस गया और उसके कान में फुसफुसाया – आज का मौसम बहुत खराब है। लगता है तूफान आ रहा है। पत्नी ने नींद में ही कुनमुनाते हुए जवाब दिया – ऐसे मौसम में भी मेरा बेवकूफ पति गोल्फ खेलने क्लब गया हुआ है।
बंता के दोनों कानों पर पट्टी बंधी देखकर संता ने कारण पूछा। बंता ने बताया – जब मैं कपड़ों पर इस्तरी कर रहा था कि तभी फोन की घंटी बजी। हड़बड़ी में मैंने फोन की जगह गरम इस्तरी ही कान पर लगा ली जिससे कान जल गया। ओह ! बहुत बुरा हुआ। – संता ने अफसोस जताया। – लेकिन पट्टी तो दूसरे कान पर भी बंधी है। इसे क्या हुआ ? उस कम्बख्त ने दो मिनट बाद दुबारा फोन कर दिया !
संता और बंता ने ढाबे के बाहर अपनी-अपनी स्कूटर खड़ी की और भीतर पहुंचने के बाद वहां खाना खा रहे एक ट्रक वाले की थाली से रोटी उठाकर खाने लगे। ट्रक वाले ने कुछ नहीं कहा। वह शांति से उठा और बिल देकर बाहर चला गया। उसके जाने के बाद संता-बंता हंसने लगे। संता : हा-हा, कितना बेवकूफ ट्रक वाला था। बंता : हा-हा, कितना डरपोक भी था। तभी वेटर बोला - और कितना अनाड़ी ड्राइवर भी था....बाहर आप दोनों की स्कूटरों को रौंदता हुआ चला गया।
संता पहली बार दिल्ली गया। चलने से पहले उसके दोस्तों ने उसे समझाया कि दिल्ली में बिना मोलभाव किए कोई चीज मत खरीदना। वहां के दुकानदार हर चीज के रेट दुगुने बताते हैं। कनॉट प्लेस पर संता को एक छाता पसंद आ गया। संता – यह छाता कितने का है ? दुकानदार – 200 रु. का । संता – 100 रु. में दोगे ? दुकानदार – 100 तो कम हैं। चलो, 150 रु. दे दो। संता – नहीं, अब तो मैं इसके केवल 75 रु. ही दूंगा। दुकानदार – अच्छा चलो, 100 ही दे दो। संता – नहीं, 50 में देना हो तो दो । दुकानदार को गुस्सा आ गया । दुकानदार – फ्री में लेगा ? संता – फ्री में 2 दोगे तो लूंगा !
बंता का तबादला बैंगलोर कर दिया गया। कन्नड़ भाषा न आने के कारण वह स्थानीय लोगों से बातचीत करने में कठिनाई महसूस कर रहा था। लिहाजा वह एक बुक स्टोर पर गया और ”तीस दिनों में कन्नड़ बोलना सीखें” नामक पुस्तक की दो प्रतियां खरीदीं। दुकानदार ने पूछा – दूसरी प्रति क्या अपने किसी दोस्त के लिए ले जा रहे हैं। बंता – जी नहीं, दरअसल मैं सिर्फ पन्द्रह दिनों में ही कन्नड़ बोलना सीखना चाहता हूं ....
संता के घर में दो घड़ियां लगी हुईं थी। एक में छह बजे और दूसरी में छह बजकर दस मिनट। यह देखकर बंता से नहीं रहा गया – यार, ये दोनों घड़ियां अलग – अलग टाइम बताती हैं । भला इन दो घड़ियों का क्या फायदा ? संता – और अगर दोनों एक सा टाइम बताएं तो दो घड़ियों का क्या फायदा ?...
संता ने अपने बॉस को फोन किया – सर, मैं आज ऑफिस नहीं आ पाऊंगा। मेरी तबियत ठीक नहीं है। सारा बदन दुख रहा है। बॉस – देखो संता, आज तुम्हें आना तो पड़ेगा । तुम चाहो तो तबियत ठीक करने के लिए मेरा तरीका आजमा सकते हो। ऐसी हालत में मैं तो अपनी बीबी से सारे बदन की मालिश करवाता हूं और थोड़ी देर में सारा दर्द गायब । समझे । दो घंटे बाद संता ने बॉस को फिर फोन किया – आपने बिलकुल ठीक कहा था सर। आपने जैसे कहा मैंने वैसे ही किया और अब मैं बिलकुल तरोताजा महसूस कर रहा हूं। मैं बस थोड़ी ही देर में ऑफिस पहुंचता हूं। …… और हां सर …… आपका घर वाकई बहुत खूबसूरत है ……
एक बैंक में डाका पड़ा । डकैत ने नोट बटोरे और जाते-जाते एक व्यक्ति की कनपटी पर पिस्तौल अड़ाकर पूछा – क्या तुमने मुझे बैंक लूटते देखा है ? उस व्यक्ति के हां कहने पर उसने उसे गोली मार दी । वह वहीं ढेर हो गया। अब वह डकैत संता की ओर मुड़ा और उससे पूछा – क्या तुमने मुझे बैंक लूटते देखा है ? संता बोला – नहीं जी, मैंने तो आपको बैंक लूटते नहीं देखा। फिर बगल में खड़ी अपनी बीबी की ओर इशारा करके बोला – हां, इसने जरूर देखा है ....