रात में सोते वक्त संता को घुटन महसूस हुई। उसने अपनी बीबी को नींद से जगाते हुए पूछा – घुट-घुटकर मरना बेहतर है या एकदम से ? बीबी गुस्से से बोली – एकदम से । संता – तो अपनी दूसरी टांग भी मुझ पर रख दो ...
संता अपने खेतों पर गया हुआ था। वहां कुंए की जगत पर बैठे एक मेंढ़क से उसकी बहस हो गई। मेंढ़क – तुम्हारे पास दिमाग नहीं है । संता – है । मेंढ़क – नहीं है । संता – है । मेंढ़क – नहीं है, नहीं है, नहीं है ….. और इतना कहकर मेंढ़क कुंए में कूद गया । संता – अरे नहीं है तो नहीं है पर इसमें खुदकुशी करने वाली क्या बात थी ……
संता – देख, देख, वो लड़की मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी। बंता – अबे सिर्फ मुस्कुरा ही तो रही है। पता है जब मैंने पहली बार तेरी शकल देखी थी तो तीन दिन तक अपनी हंसी रोक नहीं पाया था ....
संता की नई-नई शादी हुई थी लेकिन फिर भी उसे शाम को घर जाने की कोई जल्दी नहीं रहती थी। वह देर तक ऑफिस में बैठा रहता। एक दिन उसके बॉस ने उससे कारण पूछा तो संता ने जवाब दिया – बात यह है सर कि मेरी पत्नी भी नौकरी करती है और हम दोनों में से जो भी घर पहले पहुंचता है खाना उसे ही बनाना पड़ता है ...
संता – यार मेरी बीबी की याददाश्त बहुत खराब है । बंता – क्यों ? क्या वह हर बात भूल जाती है ? संता – नहीं । बल्कि उसे हर बात याद रहती है .
कॉलेज में नए-नए पहुंचे संता को अपनी टीचर से ही प्यार हो गया पर वह इजहार नहीं कर पा रहा था। आखिर एक दिन मौका पाकर काफी हिम्मत जुटा कर उसने मिमियाती सी आवाज में कहा – आई लव यू.... टीचर ने गुस्से से कहा – इतना धीरे क्यों बोल रहे हो ? जोर से नहीं कह सकते ? संता जोर से बोला – आई लव यू दीदी ...
संता को उसके दोस्त ने अपने घर खाने पर बुलाया। निर्धारित समय पर जब संता दोस्त के घर पहुंचा तो देखा दरवाजे पर ताला लगा हुआ है और एक कागज चिपका है जिस पर लिखा है – मैंने तुम्हें बेवकूफ बनाया । संता ने फौरन होशियारी दिखाते हुए उस लाइन के नीचे लिखा – मैं तो आया ही नहीं था ।
संता – स्कूलों के पास तो बोर्ड लगा है कि गाड़ी धीमे चलाएं पर गर्ल्स कॉलेज के पास ऐसा कोई बोर्ड क्यों नहीं लगा है ? बंता – क्योंकि सबको पता है कि वहां तो गाड़ी धीमी हो ही जाएगी ...
संता एक बार अपने रिश्तेदार से मिलने उसके शहर गया। वहां जब उसे नाश्ता दिया गया तो उसने प्लेट में गंदगी लगी देखी। उसने पूछा – प्लेटें सही ढंग से धुलती तो हैं न ? रिश्तेदार बोला – हां, बिल्कुल । ये प्लेटें वाटर से जितनी साफ हो सकती हैं हो जाती हैं। दोपहर को जब खाने पर गंदी थाली देखी तो संता ने फिर वही सवाल किया। फिर वहीं जवाब मिला – वाटर से थालियां जितनी साफ हो सकतीं हैं, हो जाती हैं। शाम को जब संता बाहर घूमने निकला तो दरवाजे पर बंधा पालतू कुत्ता भौंकने लगा। रिश्तेदार कुत्ते को डपटते हुए बोला – चुप रहो वाटर ! संताजी तो अपने घर के आदमी हैं
संता और बंता एक कार में बम लगा रहे थे। संता – यार जरा सोच, अगर यह बम लगाते में ही फट गया तो ? बंता – ओए फिकर मत कर, मेरे पास दूसरा भी है ...
ट्रेन में बहुत भीड़ थी और संता था कि बार-बार टॉयलेट जा रहा था। उसके बार – बार आने जाने से अन्य यात्रियों को परेशानी हो रही थी। एक यात्री बोला – यार, तुम्हें चैन नहीं है क्या ? संता बड़ी ही दर्द भरी आवाज में बोला – है तो सही, पर खुल नहीं रही …..
संता – यार इतनी तेज गाड़ी क्यों चला रहा है ? बंता – ताकि हम एक्सीडेंट होने से पहले घर पहुंच जाएं । संता – पर क्यों ? बंता – क्योंकि हमारी गाड़ी के ब्रेक फेल हो गए हैं ...