आजकल की मम्मियो का अपने बच्चो से "आप आप " करके बातें करना भी, एक नकलीपन का सा ऐहसास देता है।असली प्यार तो वो होता था जब माँ की एक बात का जवाब नहीं देते थे तो हवा में लहराती हुई "चप्पल"आकर सीधी मुँह पर लगती थी। वो होता था असली प्यार बाकी सब तो दुनियादारी है।
इंसान एक विचित्र प्राणी है: जो भावुक होने पर अपनी माँ को याद करता है और गुस्सा होने पर दूसरे की माँ को।
पठान: माँ हम बड़ा होकर एयरफ़ोर्स में जायेगा; माँ: बेटा मुझे कैसे पता चलेगा कि ये मेरे बेटे का जहाज़ है? पठान: हम गुज़रते वक़्त घर पर बम्ब फेंकेगा!
पप्पू: पापा, आपको पता है मेरी मैडम कितनी सुन्दर है! संता: बेटा, मैडम 'माँ' के बराबर होती है! पप्पू: आप तो हमेशा अपने ही चक्कर में रहते हो!
पप्पू: माँ मेरी क्या कीमत है? जीतो: बेटा तू तो लाखों का है। पप्पू: तो लाखों में से 10 रुपये देना, मुझे आइसक्रीम खानी है।
अध्यापक पप्पू से: मामूली शब्द को वाक्य में बदलो। पप्पू बहुत देर सोचने के बाद: मेरी 'माँ मूली' बड़े शौंक से खाती है।