इतिहास गवाह है, लडकी की विदाई के समय इतना दु:ख उसके माँ-बाप को भी नही होता, जितना दु:ख आस-पडोस के लडकों को होता है।
ऐसा कलयुग आ गया है कि आजकल लड़की की विदाई के वक़्त माँ-बाप से ज़्यादा तो मोहल्ले के लड़के रो देते हैं।
चाहे सारा जग रूठ जाए मुझे इसकी परवाह नहीं, बस मेरी 'माँ'... . . . . . . . . की बहू नहीं रूठनी चाहिए ।
कौशल्या कौन थीं? - श्रीराम की माँ देवकी कौन थीं? - श्रीकृष्ण की माँ कुंती कौन थीं? - अर्जुन की माँ गाँधारी कौन थीं? - दुर्योधन की माँ मदर मैरी कौन थीं? - जीसस की माँ पुत्र अच्छा हो या बुरा... माँ की पहचान अपने पुत्र से ही होती रही है और सोनिया को कहना पड़ रहा है ''मैं इंदिरा की बहू हूँ'' क्योंकि राहुल गाँधी की माँ सुनकर ही हँसी छूट जाती है।
दुनिया में तीन लोग बहुत प्यारे और अच्छे हैं। एक मैं, दुसरा मेरे माँ बाप की संतान यानि कि मैं, और तीसरा आपका दोस्त यानि कि फिर मैं। जलो मत हौंसला रखो आप भी तो इतने प्यारे और अच्छे इंसान के दोस्त हो यानि कि फिर मैं।
इंसान एक विचित्र प्राणी है: जो भावुक होने पर अपनी माँ को याद करता है और गुस्सा होने पर दूसरे की माँ को।