पति-पत्नी में बहुत देर से बहस चल रही थी। पत्नी: आखिर आप चाहते क्या हैं? पति: कुछ नहीं। बस तुम ढंग से रहा करो। पत्नी: सुबह 5 बजे उठती हूँ, पूरे घर में सफाई करती हूँ, नाश्ता बनाती हूँ, बच्चों को उठाकर तैयार करती हूँ, बच्चों को स्कूल भेजकर आपके लिए खाना तैयार करती हूँ, इस बीच में मुझे नाक पोंछने तक की फुरसत नहीं मिलती। पति: मैं यही तो कह रहा हूँ कि कम से कम नाक तो पोंछ लिया करो।
एक आदमी की पत्नी उससे नाराज़ होकर हमेशा के लिए मायके चली गयी। आदमी रोज नाराज पत्नी के घर फोन करता। सास: कितनी बार कहा है वह तुम्हारे लिए मर गयी है, रोज-रोज क्यों फोन करते हो? पति: सुन कर अच्छा लगता है।
ऐतिहासिक सुवचन: 'झूठ बोलना' बच्चों के लिए पाप, प्रेमियों के लिए कला, कुँवारों के लिए अनिवार्य और शादीशुदा के लिए शांति से जीने का मार्ग।
अब वक़्त आ गया है कि बच्चों को बीमारियो से बचने के टीको के साथ . . . . . . . . . इंटरनेट से बचाने के टीके भी लगाने शुरू कर देने चाहिए।
हरियाणा के सभी जाट आरक्षण लेने के लिए सड़कों पर हैं। लेकिन एक ताऊ ये सोच कर परेशान है कि अगर मिल गया तो लेकर कैसे जायेंगे, ट्रैक्टर तो घर छोड़ आये।
जाते समय पैसे देने के नाम पर बच्चों को फटा और घिसा पिटा नोट देने वाले रिश्तेदारों के लिए भी, नर्क में खौलते तेल में उबाले जाने की व्यवस्था है।