पठान की सास बहुत बीमार हो गयी तो पठान उसे लेकर अस्पताल आ गया। डॉक्टर: इनकी बीमारी कुछ गंभीर है, पहले हम इनके कुछ टैस्ट ले लेते हैं। पठान: डॉक्टर साहब, अगर बीमारी गंभीर है तो टैस्ट आप मेरे ले लीजिये क्योंकि वैसे भी ये अनपढ़ हैं टैस्ट में फेल हो जायेंगी।
एक बार पठान एक आर्ट गैलरी में गया। पठान(मैनेजर से): यह ऐसी बेहुदा चीज़ों को आप आर्ट कहते हैं। मैनेजर: माफ़ कीजिये, यह शीशा है।
पठान: मैं मरने के बाद अपना दिमाग हॉस्पिटल में दान करना चाहता हूँ। सिंधी: हाँ सही है। तुम्हारा दिमाग उनके बहुत काम आएगा। पठान: वो कैसे? सिंधी: डॉक्टरों को भी पता चल जायेगा कि जो दिमाग कभी इस्तेमाल ही नहीं हुआ वो कैसा होता है।
एक बार पठान की बिल्डिंग में आग लग गयी। फायरमैन(पठान से): तुम ऊपर से कूद जाओ, हम तुम्हें इस जाल में पकड़ लेंगे। पठान: नहीं, मुझे तुम लोगों पर भरोसा नहीं है। जाल को ज़मीन पर बिछा दो।
सिंधी: तुम आज ये पार्टी क्यों दे रहे हो? पठान: ओये मेरा स्कूटर ग़ुम हो गया है इसलिए। सिंधी: अरे स्कूटर ग़ुम होने में कौन सी ख़ुशी की बात है? पठान: अरे ख़ुशी की तो बात है, सोचो अगर स्कूटर पर मैं बैठा होता तो मैं भी ना गुम हो जाता।
पठान: डॉक्टर साहब, आज सुबह से मेरे सिर में और पेट में दर्द हो रहा है। डॉक्टर: कोई बात नहीं, यह लो एक गोली पेट दर्द के लिए और एक सिर दर्द के लिए। दोनों अभी खा लो। पठान: लेकिन डॉक्टर साहब, खाने के बाद गोलियों को कैसे पता चलेगा कि किसको किस तरफ जाना है?