हम तो निकले थे तलाशे इश्क में; अपनी तनहाईयों से लड़ कर; . . . मगर . . . गर्मी बहुत थी, बियर पी के वापिस आ गए।
पप्पू की रोटी पर से चूहा गुज़र गया! पप्पू: अब मैं यह रोटी नहीं खाऊंगा! संता: खा ले बेटा, चूहे ने कौन सी चप्पले पहनी हुई थी!
टीचर: अगर दुनिया की सारी औरतों के चहरे एक जैसे होते तो क्या होता? पप्पू: होना क्या था सर, गैस सिलेंडर की तरह आज इसके घर कल उसके घर!
पप्पू को हाथ के नाख़ून खाने की आदत थी! उसके माता-पिता ने उसको रामदेव के पास भेजा! और अब पप्पू . . . पैरों के नाख़ून भी खाता है!