कोई रास्ता नहीं दुआ के सिवा; कोई सुनता नहीं खुदा के सिवा; मैंने भी जिंदगी को करीब से देखा है, ए दोस्त; गर्मी में कोई साथ नहीं देता... . . . . . बियर के सिवा। शुभ गर्मी!
ग्राहक ने वेटर से पूछा: तुम्हे कैसे पता चला कि मैं इस होटल में पहली बार आया हूं? वेटर: क्योंकि जो एक बार यहां का खाना खाकर जाता है, दुबारा नही आता।
ग्राहक चिल्लाया: वेटर, इधर आओ। वेटर सहमता हुआ ग्राहक के पास आ खड़ा हुआ। ग्राहक: देखो चाय के प्याले में मक्खी पड़ी हुई है। वेटर ने तर्जनी उंगली से मक्खी प्याले से निकाली और बहुत गौर से देखने लगा। फिर बड़ी गंभीरता से उत्तर दिया: हमारे होटल की नहीं है।
कभी सोचा है कि मंदिर में पुरुष पुजारी ही क्यों होते हैं? . . . . . . . . ताकि भक्तों का ध्यान भगवान से भटके नहीं।
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है; कि जिंदगी तेरी जुल्फों की घनी छाँव में गुजर जाती तो... . . . . . . . . 'होम लोन' लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
कुछ लोग तो इस साल की गर्मी में ऐसे हाय-तौबा मचा रहे हैं जैसे . . . . . . . . पिछले कई सालों की गर्मी इन सालों ने स्विट्ज़रलैंड में बिताई हों।