अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं SHARE FacebookTwitter अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैंरुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं SHARE FacebookTwitter Tagsसर्द हवा शायरी