होते ही शाम मैं किधर जाता हूँ

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होते ही शाम मैं किधर जाता हूँ
जुदा ख्यालों से मैं बिखर जाता हूँ
खौफ इस कदर होता है यादों का
जाम की महफिल में नजर आता हूँ

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