इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन SHARE FacebookTwitter इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिनदेखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार केMore SHARE FacebookTwitter Tagsफुर्सत शायरी