थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ

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थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ

This is a great मस्ती की शायरी. If you like मस्ती पर शायरी then you will love this. Many people like it for मस्ती भरे शायरी. Share it to spread the love.

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