जाने कहाँ थे और और चले थे कहाँ से हमबेदार हो गए किसी ख्वाब-ए-गिराँ से हमऐ नौ-बहार-ए-नाज़ तेरी निकहतों की खैरदामन झटक के निकले तेरे गुलसिताँ से हम
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