मेरी बहार-ओ-खिज़ां जिसके इख्तियार में थीमेरी बहार-ओ-खिज़ां जिसके इख्तियार में थीमिजाज़ उस दिल-ए-बेइख्तियार का न मिलाखिज़ां = पतझड़मिजाज़ = मुलाका
जाने कहाँ थे और और चले थे कहाँ से हमजाने कहाँ थे और और चले थे कहाँ से हमबेदार हो गए किसी ख्वाब-ए-गिराँ से हमऐ नौ-बहार-ए-नाज़ तेरी निकहतों की खैरदामन झटक के निकले तेरे गुलसिताँ से हम