साहिल पे बैठे यूँ सोचते हैं आज

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साहिल पे बैठे यूँ सोचते हैं आज, कौन ज्यादा मजबूर है
ये किनारा जो चल नहीं सकता, या वो लहर जो ठहर नहीं सकती

This is a great साहिल की शायरी. If you like साहिल पर शायरी then you will love this.

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