खूब सूरती क्या चीज होती है

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खूब सूरती क्या चीज होती है
हम तो भूल ही गए.!
एक जमाने से जो तुझक
देखा नही.!
बड़ा मुश्किल है इश्क में बेदाग़ होना.!
राख बन के
फिर आग होना.!
सुनो..
जहाँ तुम मौजूद ना हो.!
वहाँ मुस्कुराना..
अजीब सा लगता है मुझे.!
तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है.!
पूरी उसकी होती ह
जो तकदीर लेकर आता है..!

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