खूब सूरती क्या चीज होती हैखूब सूरती क्या चीज होती हैहम तो भूल ही गए.!एक जमाने से जो तुझकदेखा नही.!बड़ा मुश्किल है इश्क में बेदाग़ होना.!राख बन केफिर आग होना.!सुनो..जहाँ तुम मौजूद ना हो.!वहाँ मुस्कुराना..अजीब सा लगता है मुझे.!तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है.!पूरी उसकी होती हजो तकदीर लेकर आता है..!
डूबी हैं मेरी उंगलियां खुद अपने लहू मेंडूबी हैं मेरी उंगलियां खुद अपने लहू मेंयह काँच के टुकड़ों को उठाने की सजा है
फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते हैफिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते हैकब्रें जितनी भी सजा लो पर कोई ज़िंदा नहीं होता