जब रूह किसी बोझ से थक जाती है

SHARE

जब रूह किसी बोझ से थक जाती है
एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है
मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन
ज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है

This is a great किसी की चाहत शायरी.

SHARE