वो साथ था हमारे या हम पास थे उसकेवो साथ था हमारे या हम पास थे उसकेवो ज़िन्दगी के कुछ दिन, या ज़िन्दगी थी कुछ दिन
महीनों गुजर गए ना जाने कब तेरा दीदार होगामहीनों गुजर गए ना जाने कब तेरा दीदार होगाजिस दिन मिलूंगी तुमसे मेरी ज़िन्दगी का नया साल होगा
मेरी यह ज़िन्दगी है कि मरना पड़ा मुझेमेरी यह ज़िन्दगी है कि मरना पड़ा मुझेइक और ज़िन्दगी की तम्मना लिए हुए।
ज़िन्दगी लोग जिसे मरहम-ए-ग़म जानते हैंज़िन्दगी लोग जिसे मरहम-ए-ग़म जानते हैंजिस तरह हम ने गुज़ारी है वो हम जानते हैं
जब रूह किसी बोझ से थक जाती हैजब रूह किसी बोझ से थक जाती हैएहसास की लौ और भी बढ़ जाती हैमैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिनज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है
छोड़ ये बात कि मिले ये ज़ख़्म कहाँ से मुझ कोछोड़ ये बात कि मिले ये ज़ख़्म कहाँ से मुझ को`ज़िन्दगी बस तू इतना बता!` कितना सफर बाकि है