जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता हैकोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता हैमुझे बे-दस्त-ओ-पा कर के भी खौफ उसका नहीं जाताकहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता हैशब्दार्थबे-दस्त-ओ-पा = असहा
This is a great अपने पराये शायरी. If you like आग का दरिया शायरी then you will love this. Many people like it for सागर किनारे शायरी. Share it to spread the love.