दरिया वफाओं का कभी रुकता नहींदरिया वफाओं का कभी रुकता नहींमोहब्बत में इंसान कभी झुकता नहींखामोश हैं हम उनकी ख़ुशी के लिएवो समझते हैं कि दिल हमारा दुखता ही नहीं
हम भी दरिया हैहम भी दरिया है..हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम हैजिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगाकितनी सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दियातु नहीं मेरा तो कोई,और हो जाएगामैं खूदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तोज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगासब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बु, ज़मीनो-आस्माँमैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा
इसी में ख़ुश हूँइसी में ख़ुश हूँ...इसी में ख़ुश हूँ मेरा दुख कोई तो सहता हैचली चलूँ कि जहाँ तक ये साथ रहता हैज़मीन-ए-दिल यूँ ही शादाब तो नहीं ऐ दोस्तक़रीब में कोई दरिया ज़रूर बहता हैन जाने कौन सा फ़िक़्रा कहाँ रक़्म हो जायेदिलों का हाल भी अब कौन किस से कहता हैमेरे बदन को नमी खा गई अश्कों कीभरी बहार में जैसे मकान ढहता है
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जानाइशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जानादर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता हैजहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता हैकोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता हैमुझे बे-दस्त-ओ-पा कर के भी खौफ उसका नहीं जाताकहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता हैशब्दार्थबे-दस्त-ओ-पा = असहा